अब अभिभावकों को डिजिटल संस्कार दे बच्चे
अभिभावकों – बुजुर्गों से तकनीकी ज्ञान साझा करना
पिछले २० सालो में हुए सबसे बड़े बदलावों में डिजिटल क्रांति सबसे अहम है नई पीढ़ी तेज़ी से अपने घर से निकलकर दुनिया से तालमेल करने लगी है वही पिछली पीढ़ी के लिए इस रफ़्तार से कदम मिलाकर चलना काफी चुनौतीपूर्ण है। संस्कार अक्सर बड़ो से छोटो की ओर आते है लेकिन अब जिम्मेदारी नई पीढ़ी की भी है कि वह अब अपने बड़ो को डिजिटल संस्कार ग्रहण करने में मदद करे। परिवार , समाज, देश और विदेश से जुड़े रहने की सुविधाओं के बहुत से फायदे है तो सावधानी हटते ही दुर्घटना के शिकार होने की आशंका भी उतनी ही रहती है। ऐसे में बच्चो की यह जिम्मेदारी होती है की तकनीक की रफ़्तार से अपने अभिभावको व परिवार के वृद्धजनो को जोड़ते हुए जागरूक और शिक्षित करे।
कोविड महामारी में ऑनलाइन पढाई के दौरान अभिभावकों ने खुद भी सीखा और बच्चो की मदद भी की। पर अब बहुत से अभिभावक ऐसे है जो तकनीक में पिछड़े है या जरुरत नहीं पड़ने पर उन्होंने इस ओर धयान नहीं दिया। पर अब वक्त तेज़ी से बदल रहा है और हर किसी को तकनिकी संसाधनों से जुड़ना ही होगा। ऐसे में जो बच्चे अपने अभिभावकों को जितनी जल्दी डिजिटल साक्षर व जागरूक बना सकेंगे उनके लिए उतनी ही आसान हो जाएगी। नई उम्र में बच्चे तेज़ी से डिजिटल दुनिया में विचरण तो करने लगते है लेकिन उन्हें भी अच्छे और बुरे का ज्ञान काम ही रहता है। ऐसे में यदि बच्चे बड़े बुजुर्गो के साथ अपनी जानकारी साझा करेंगे तो उन्हें डिजिटल दुनिया में भी अच्छे आचरण की सीख मिल सकेगी। इससे बड़ो की नजर भी बनी रहेगी और छोटे बच्चो का आत्मविश्वास भी बना रहेगा
ऋतु दीवान , प्रधानाचार्य
दयावती मोदी अकादमी
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